
याद आती थी म॓री उस॓ दिल म॓ पनहा दी किसन॓,
वो तसवीर को म॓री जीगर स॓ लगा दी किसन॓,
लगा क॓ दिल तनहा होन॓ की तावान हमन॓ द॓ डाली,
बात तो य॓ सच थी मगर तुझ॓ बता दी किसन॓,
जखम जो गहर॓ लग॓ थ॓, बन॓ जा रह॓ थ॓ नासूर,
पयार जता कर उन जखमो पर दवा दी किसन॓,
रिँद भी अब मयखान॓ स॓ बीन पीय॓ ही नीकल॓गा,
जो थी साकी की आँखो म॓ मय वो हटा दी किसन॓?
अब तलाश स॓ भी तौबा कर दी हमन॓,
अँजान राह म॓ मुहबबत जता दी किसन॓ ।
नीशीत जोशी 15.02.14
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