રવિવાર, 2 ફેબ્રુઆરી, 2014

कुछ पल और सही

Italian-Academic-Classic-Painter-Eugene-de-Blaas-A-Portrait-Of-A-Young-Lady-Oil-Painting कुछ पल और सही....तेरा इंतिजार और सही, भूल जायेंगे पूर्णिमा को, तेरा दीदार और सही, जीती बाज़ी मेरे हारने पे,चहेरा तेरा खिल गया, तेरी ख़ुशी की खातिर, मेरी एक हार और सही, ना ना करते हुए, यक़ीनन प्यार तुम कर लोगे, मुसलसल मेरी 'हाँ' के बावजूद इज़हार और सही, जो लगाया है पर्दा आयना पे, अब वो हटा देंगे, फर्श पे आज दीदार-ए-क़मर एकबार और सही, जिक्र होगा जब इश्क़ का, नाम आएगा अपना, दास्ताँ-ए-इश्क़ में इन्कार व् इक़रार और सही !!!! नीशीत जोशी (क़मर= moon) 31.01.14

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