રવિવાર, 20 એપ્રિલ, 2014
पढ़ के किताब प्यार किया नहीं जाता
पढ़ के किताब प्यार किया नहीं जाता,
जब हो जाये तब से जिया नहीं जाता,
किस्से तो बहुत होते है प्यार के यहाँ,
"मजनू" नाम सबको दिया नहीं जाता,
मर कर भी कई आशिक अमर हो गए,
हर आशिको से ज़हर लिया नहीं जाता,
किताबी रवायत का मुहब्बत में काम नहीं,
दिल खोनेके बाद कुछ किया नहीं जाता,
कई अंजाम लिखे मिलेंगे उन किताबो में,
परवाह करनेवालो से प्यार किया नहीं जाता !!!!
नीशीत जोशी 20.04.14
"એક નેતા" પર કોશીશ
"એક નેતા" પર કોશીશ
હર ચહેરા તો અહીં સુંદર નથી હોતા
હર દૉડતા વ્યક્તિ સફળ નથી હોતા
મુશ્કેલી નો કરી સામનો મળે શીખર
હર વિશ્વાસીના વિશ્વાસ પ્રબળ નથી હોતા
તમાશો કરી પ્રખ્યાત થાય દુનિયામાં
હર જાદુગરના ખેલ સરસ નથી હોતા
સવાલો પર પણ પુછાય છે સવાલો
હર સવાલો ના પ્રત્યુતર નથી હોતા
કંઇક તો હશે એ વ્યક્તિમાં વિશેષતા
હર નેતાઓના આવા રટણ નથી હોતા
નીશીત જોશી 18.04.14
जैसे ही हमारे प्यार की आराइश हो जायेगी
जैसे ही हमारे प्यार की आराइश हो जायेगी,
जाने अंजाने प्यार की फरमाइश हो जायेगी,
उतर आएगा चाँद भी फलक से जमीं पे ऐसे,
देख कर तुझे, नूर की आजमाइश हो जायेगी,
टूटे आईने के टुकड़ो में दिखेगा चेहरा तेरा,
ख़ूबाँ के गुरूर-ए-हुश्न की पैमाइश हो जायेगी,
हो जायेंगे नाशाद हर तेरे चाहनेवाले जहाँ के,
दिल को जब मेरे प्यार की ख्वाइश हो जायेगी,
सीख लेंगे सभी दानिश-ए-मुहब्बत का सलीक़ा,
जब जज्बात-ए-मुहब्बत की नुमाइश हो जायेगी.!!!!
नीशीत जोशी
(आराइश= decoration,ख़ूबाँ= beautiful women,पैमाइश= measurement,दानिश= knowledge) 15.04.14
जिंदगी जी लेते हैं
रख के ग़म परदे में, जिंदगी जी लेते हैं,
घर हो या मयकदा,हम शराब पी लेते हैं,
उम्र दराज़ से जो मिले थे चार दिन हमें,
रहने नहीं देते पास, छीन वो भी लेते हैं,
क़सूर न था फिर भी गुनहगार बना गये,
इश्क़ के इम्तियाज़ में ओठो को सी लेते है,
वार-ए-तेग सहने खुला रखा है सीना हमने,
ज़ख्म खाके भी जिक्र-ए-वफ़ा कर ही लेते हैं,
खामोशी अब अपना असर दिखाने लगी है,
कानो में बाते सामने हुए सन्नाटो की लेते हैं !!!!
नीशीत जोशी 12.04.14
શનિવાર, 12 એપ્રિલ, 2014
ન કાઢતા વાત
ન કાઢતા વાત કોઈ એ દીવાની ની,
જિંદગીની વાત નથી મેજબાની ની,
ભૂલો કરેલી,યાદ પણ ઘણી આવશે,
નહી વાળી શકો પળો જવાની ની,
શું મળ્યું? કરતા વિચારો શું આપ્યું?
કેટલી મઝા લીધી જીન્દગાની ની?
ધોખો ન કરજો કોઈની વિદાઈનો,
વાતો કરજો કોઈની મહેરબાની ની,
સહી લેજો મોતને પણ હસતા મોઢે,
થશે વાતો ત્યારે જ એ કુરબાની ની.
નીશીત જોશી 09.04.14
दास्ताँ-ए-दर्द को दोहराया न करो
दास्ताँ-ए-दर्द को दोहराया न करो,
बेवफाई का ज़हर पिलाया न करो,
मारूफ हुआ शहर इश्क़ के चर्चे से,
दावत दे मुझे वहाँ बुलाया न करो,
मुश्किल में आ जायेगी शानोशौकत,
खादिम कहके पास बैठाया न करो,
वस्ल को हिज्र में बदल दोगे तुम तो,
वायदो में फिर से उलझाया न करो,
भूल चुके है हसना अब ज़िंदगी में,
नाम दे कर इश्क़ का रुलाया न करो !!!!
नीशीत जोशी (मारूफ= प्रसिध्ध) 06.04.14
શનિવાર, 5 એપ્રિલ, 2014
यह कैसा रिश्ता निभाते हो ?
यह कैसा रिश्ता निभाते हो ?
खुद टुट के,दूजे को बचाते हो ,
माना अनजान राह चलना है,
क्यों हमराही को हटाते हो ?
हौसला होना बुरा नहीं होता,
हरबार उसे ही क्यों बताते हो ?
मुहब्बत हुयी है तो होने दो,
तहज़ीब से क्यों जताते हो ?
तुम ये इश्क़ पे कायम रहो,
बारबार बहाना क्यों बनाते हो ????
नीशीत जोशी 03.04.14
ना जुस्तुजू, ना कोई ख्वाइश रह गयी
ना जुस्तुजू, ना कोई ख्वाइश रह गयी,
ना दोस्ती की अब आजमाइश रह गयी,
जब जब रखी जुस्तजू मैंने मुहब्बत की,
महबूब की आँखों में पैमाइश रह गयी,
हर बात बखूबी टालते रहे थे अक्सर,
ना कोई जवाब की गुंजाइश रह गयी,
उस दिल को भी कर दिया उनके हवाले,
नश्तर चलने की करतबी नुमाइश रह गयी,
खेल समझा उसने, पाकीज़ा मुहब्बत को,
इधर चाहतों की बस फरमाइश रह गयी !!!!
नीशीत जोशी 31.03.14
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