वरक़ पर क़लम चला दो,
लहू को मेरे स्याही बना दो,
चलगे अल्फ़ाज़ खुद-बखुद,
जज्बात लिख के बता दो,
बनी नहीं जो बात कहने पे,
एहसासे दिल यहाँ जता दो,
रफ़्तार देकर के क़लम को,
अफ़साने से वरक़ सजा दो,
पढ़ के भूल न पाये कोई भी,
सुखन ऐसा लिख के दिखा दो !!!!
नीशीत जोशी 04.11.14
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