શનિવાર, 27 ડિસેમ્બર, 2014

हसीं पल थे

हसीं पल थे गुजर गए कुछ पल में, चले गए हर कोई आनेवाले कल में, वक़्त का क्या फिर से आ सकता है, मगर न मुक़्क़मल होगा ऐसे बल में, समंदर में तलातुम होना लाज़मी है, आप ले के आये उसे नदी के जल में, हमें मिला आप सभी का ये जो साथ, खुदा ने दिया है अच्छे कर्म के फल में, इन्तजार रहेगा ऐसे ही कोई जश्न का, डूब जाए हमातन फिरसे ऐसे ही पल में !!!! नीशीत जोशी (तलातुम=storm,हमातन=fully) 21.12.14

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