શનિવાર, 4 જૂન, 2016

तो कोई बात बने

आब में आग लगाओ, तो कोई बात बने, दीप से दीप जलाओ, तो कोई बात बने ! राज़ को खोल, न फरमाओ कोई इश्क यहाँ, सिर्फ तुम प्यार जताओ, तो कोई बात बने ! अब मेरी हालत पर, देना कोई ध्यान जरा, शाम होते जाम, पिलाओ तो कोई बात बने ! ढूँढ लेना एक कोना, बच जाना फिर तुम, रूबरू जुर्म मिटाओ, तो कोई बात बने ! प्यार भूले, दरिया भी, फिर भूले सफिना, जिंदगी याद दिलाओ, तो कोई बात बने ! नीशीत जोशी 27.05.16

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો