શનિવાર, 25 જૂન, 2016
सभी दोष उसकी जवानी में था !
122 122 122 12
कभी फूल अपनी रवानी में था,
चमन जब मेरी बागबानी में था !
परिंदें कफस तोड कर उड गये,
भरोसा उन्हें जाँफिशानी में था !
कहा था मगर वो सुने तो सही,
मेरा वाकिया भी कहानी में था !
करेंगे मुहब्बत कहा था कभी,
मेरा दिल उसी की निशानी में था !
असर भी हुआ था उसे प्यार का,
सभी दोष उसकी जवानी में था !
नीशीत जोशी
(जाँफिशानी = extreme effort)
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો