શનિવાર, 25 જૂન, 2016

कीमतें जो है वफा की

तिश्नगी वो है जिसे शबनम बुझा सकती नहीं, है मुहब्बत वो जिसे नफरत मिटा सकती नहीं ! आसमाँ में चाँद तारे आ गये फिर देखलो, रात काली भी कभी तन्हा सुला सकती नहीं ! तोडने को फिर उदासी, रात कोई आ गई, ख्वाब भी पज़्मुर्दगी को अब हटा सकती नहीं ! पी लिये है जाम तेरे बैठकर आग़ोश में, वो जिगर की प्यास फिर भी तू बुझा सकती नहीं ! बेवफाई की कभी होती नहीं कीमत कहीं, कीमतें जो है वफा की वो गिरा सकती नहीं ! नीशीत जोशी (पज़्मुर्दगी= sadness)

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