રવિવાર, 23 ઑક્ટોબર, 2016
जब रहा इश्क़ सिर्फ बातों का,
जब रहा इश्क़ सिर्फ बातों का,
कारवाँ थम रहा है साँसों का,
कौन कहता रहे उसे अपना,
जब भरोसा नही है जज्बों का,
ख्वाब आते नही मुझे अब तो,
क्यों करें इंतजार रातों का,
दर्द गर बढ गया वो फुर्कत में,
हाल होगा बुरा वो अश्कों का,
महफिलें अब कहाँ रही दिल की,
जिक्र कैसे करें वो नग्मों का !
निशीथ जोशी
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