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वो है गर बेवफा तो, बेदार हो जा,
वफा की दे दुहाई, दिलदार हो जा !
गुना है इश्क गर, मत सोच फिर तू,
उसे कर, और गुन्हेगार हो जा !
तुझे गर रोशनी की इल्तजा है,
किसी सूरज का रिश्तेदार हो जा !
सुना कर फिर नया कोई तराना,
सभी के बीच इक फनकार हो जा !
नहीं कमजोर तू,उस मर्द से भी,
बढा कर तू कदम,हमवार हो जा !
नीशीत जोशी
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