શુક્રવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2017

काश कोई ख़्वाब लिखते,

2122-2122 काश कोई ख़्वाब लिखते, ख़्वाब में अहबाब लिखते ! करके तुम दीदार दिलबर, फिर उसे महताब लिखते ! अश्क से भर जो गया दिल, भूल कर सब, आब लिखते ! हो कहानी में जगह तो, इश्क का एक बाब लिखते ! रह नहीं सकते अकेले, प्यार में बेताब लिखते ! जब्त में जज्बात हो फिर, आ रहा शैलाब लिखते ! है सुख़नवर 'नीर' तो फिर, कुछ ग़ज़ल नायाब लिखते ! नीशीत जोशी 'नीर'

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