रुकी होगी तेरी धडकन कई बार याद करते करते,
न रुकते है मेरे अश्रु हर बार तुजे याद करते करते,
कहानी तो तब भी थी आज भी है वही,
किरदार बदल गये है सहि चोला बदलते बदलते,
महोब्बत का इलम यहा तक पहोचा गया,
अब दिन रात गुजरते है तेरे ही सपने देखते देखते,
चमन मे खुश्बु थी जो अब जाने लगी है,
बसंत भी बदल जाती है तुजे समजते समजते,
मौत का दिन है मुक्करर इस जहां मे निशित ,
कब्र में भी रो पडेगें हरदम तुजे याद करते करते ।
नीशीत जोशी
મંગળવાર, 6 એપ્રિલ, 2010
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बहुत अच्छा विरह गीत्
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