શનિવાર, 10 એપ્રિલ, 2010

पुराने झख्मो को खुरेचा करते हो

पुराने लम्हो को याद किया करते हो,
पुराने झख्मो को खुरेचा करते हो,

नासूर बन सतायेगी वो यादे,
झख्मो से भर देगी वो यादे,
कंट्पंथक बन जायेगी वो यादे,
मल्हम की आश लगाये बैठे हो,
पुराने झख्मो को खुरेचा करते हो,

भुलादो उसे जो हो न सका तुम्हारा,
क्या करोगे याद कर के वो फसाना,
भुलादो अब वो आशिकीका जमाना,
नयी बसंतको बरबाद किया करते हो,
पुराने झख्मो को खुरेचा करते हो |

नीशीत जोशी

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