શનિવાર, 3 એપ્રિલ, 2010
बारीस
बारीस से हम करने लगे है नफरत,
जब से बारीस ने अपना रुख बदल लिया,
मीट्टी की खुश्बु से हम खा गये धोखा,
उस बारीसने तो सिर्फ मेरा पल्लु भीगो दिया,
कह कर गये थे हम पसंद है आपकी,
बरसनेको आसमां की जगह आंखोसे रस्ता कर लिया,
अब कैसे करे प्यार इस बारीस को 'निशित',
बिन बादल उसने बरस बरस के जीना दुस्वार कर दिया ।
नीशीत जोशी
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