શનિવાર, 23 નવેમ્બર, 2013

ज़रा सब्र करो

tiger-hill-sunrise आ रही है सुबह, नया आफताब निकलेगा, ज़रा सब्र करो, मुश्किलात फ़ना होंगी, हरेक लम्हा खिलेगा, ज़रा सब्र करो | तूफानों का हुज़ूम भी ठहरेगा, वक़्त आने तो दो, डूबनेवाला भी समंदर पे चलेगा, ज़रा सब्र करो | नकश-ए-तसव्वूरत से , भला कबतब दिल बहलाओगे, अब यकीनन वो हकीकत में मिलेगा, ज़रा सब्र करो | अब सफ़र में कभी कोई , तन्हा नहीं रह पायेगा, नेक राहो , तो खुदा भी साथ चलेगा, ज़रा सब्र करो | फिर से वो महफ़िल सजेंगी, रौनक़ें भी होंगी वही , चिराग़ खुद्दारी का, हर दिल में जलेगा, ज़रा सब्र करो | निशीत जोशी

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