રવિવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2014

वह आये बागो में

वह आये बागो में, रुख हवा का बदल गया, खिले थे फूल, मुरझाना उनका अटक गया, लहराया जो दुप्पटा,फ़ज़ा सारी महक गयी, मायूस बैठे वो दीवानो का चहेरा चमक गया, दिखायी होगी उनकी तस्वीर चाँद को किसीने, तभी चाँद आज फलक में ही कहीं भटक गया, बेजान पड़ी थी शहर की गलियाँ बगैर उनके, आते ही उनके, शहरे खामोशा भी चहक गया, सूखे पत्ते भी शजर के अब होने लगे है शब्ज़, चमन के दिल से उजड़ जाने का भरम गया !!!! नीशीत जोशी 03.09.14

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