
મંગળવાર, 20 ડિસેમ્બર, 2016
यूं तेरा कुछ गुनगुनाना याद है

जानता हूँ कि मुझसा मिलेगा नही

कभी कोई कभी कोई

गज़ल की ये कैसी इबारत हुई है !

मिला है ये तजुर्बा आशकी से !

करोगे याद तो हर बात याद आएगी

नहीं कमजोर तू

અહીં તે દુ:ખ નો અધ્યાય પણ વંચાય છે શું?

वो कभी तन्हा सफर में खो गए

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