રવિવાર, 12 ફેબ્રુઆરી, 2017

हम क्या करें?

२१२ २१२ २१२ २१२ मंझिलें गर भटक जाए,हम क्या करें? दिल कहीं फिर बहक जाए,हम क्या करें? क्या हुई बात कोई बताता नहीं, अश्क़ कोई छलक जाए, हम क्या करें? तोड़ कर दिल मेरा अब सुकूँ है उसे, जिक्र से दिल दहक जाए, हम क्या करें? पाँव भी लडखडाये मेरी वस्ल पे, हिज्र से दिल धडक जाए,हम क्या करें? तोड़ कर फूल रौंदा गया पाँव से, फिर भी दिल जो महक जाए,हम क्या करें? प्यार कर के निभाने का दस्तूर है, बेवफा बन सरक जाए,हम क्या करें? शर्म आती है अब तो तुझे देख कर, 'नीर' गर दिल चहक जाए,हम क्या करें? निशीथ जोशी 'नीर'

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