2212/2212
होती नहीं है, बात अब,
कटती नहीं है, रात अब !
होते नहीं है, ग़म भी कम,
खामोश है, जज्बात अब !
गर खेल माने प्यार को,
जीते मगर, है मात अब !
दुनिया बनी है, प्यार से,
नफरत की मत कर बात अब !
ढाओ न मुझ पर यूँ सितम,
क्या हो सितमगर जात अब !
नीशीत जोशी
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