
2122-1212-22
वो खुदा से कोई दुआ करते,
और मुझसे न फिर दगा करते !
दर्द की इंक़िज़ा भी हो जाती,
हमसफर प्यार में रहा करते !
इश्क का रोग जब लगा सबको,
मेरे दिलबर मेरी दवा करते !
याद आते कभी वो बीते पल,
अश्क आँखो से फिर बहा करते !
वो अगर बेवफा है फितरत से,
इश्क़ में सिर्फ हम वफा करते !
नीशीत जोशी
(इंक़िज़ा - समाप्ति)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો