
2122-2122-2122-212
हम तेरे कूचे में आए है मुसाफिर की तरह,
क्यों मुझे फिर तुम बुलाते हो वे काफिर की तरह,
गर तुझे कोई मेरा ही अक्स हैराँ भी करे,
तब मुझे आवाज देना तुम मुसव्विर की तरह,
आजमाते कह दिया था मुझको जाबिर भी कभी,
फिर रखा भी है मुझे कोई जवाहिर की तरह,
बन गया कादिर मेरा दिल अब हुनर कोई दिखा,
की लगे नादान ये दिल सबको नादिर की तरह,
महफिलो में तुम गज़ल कहते हो, साहिर तो नहीं,
लोग कहते है कि पढता है मुकर्रिर की तरह !
नीशीत जोशी
(काफिर -an infidel,sweetheart, मुसव्विर- painter,जाबिर- cruel,जवाहिर- jewels,कादिर- powerful ,नादिर- precious,साहिर -magician, मुकर्रिर- speaker
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