શુક્રવાર, 10 સપ્ટેમ્બર, 2010

गा उठेंगे नज्म मेरे यारो

भीतरकी उदासी को यु ना पनपने दो यारो,
लब्जको भी कभी शिकायत होगी मेरे यारो,
पनप के जीना दुस्वार कर देगा जिन्दगी,
लब्ज तरस जायेंगे हसने मुश्करानेको मेरे यारो,
गाता रहेगा रमा रहेगा सिर्फ गमगीन बन,
भुल जायेगा हसना जो जिन्दगी है मेरे यारो,
हां रहो कभी उदास पर सिर्फ पलभरके लिये,
लब्जभी खिलखिलाके गा उठेंगे नज्म मेरे यारो ।
नीशीत जोशी

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