दिल को दिल से ना लगाया होता,
बेवफाई का एहसास ना पाया होता,
भरम में ही रह जाते उम्र भर शायद,
सितमगर ने अगर ना सताया होता,
आँखे भी महफूज़ रहती रोये बगैर,
अश्को का समंदर ना बहाया होता,
नक्श-ऐ-पा न होते लाल रंग से भरे,
कांटो की राह पे कदम ना बढ़ाया होता,
वादियों की रूमानी रहती बरकरार,
हसते हुए महबूब को ना रुलाया होता |
नीशीत जोशी 05.01.13
રવિવાર, 6 જાન્યુઆરી, 2013
दिल को दिल से ना लगाया होता
दिल को दिल से ना लगाया होता,
बेवफाई का एहसास ना पाया होता,
भरम में ही रह जाते उम्र भर शायद,
सितमगर ने अगर ना सताया होता,
आँखे भी महफूज़ रहती रोये बगैर,
अश्को का समंदर ना बहाया होता,
नक्श-ऐ-पा न होते लाल रंग से भरे,
कांटो की राह पे कदम ना बढ़ाया होता,
वादियों की रूमानी रहती बरकरार,
हसते हुए महबूब को ना रुलाया होता |
नीशीत जोशी 05.01.13
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