શુક્રવાર, 2 ઑક્ટોબર, 2015
चाहते है
तेरे ही सहारे कुछ करना चाहते है,
बाहों में तुझे ही हम रखना चाहते है,
कर देना हमे बेहोश पिला के काबा,
आँखों की मस्ती में हम मरना चाहते है,
छूपाया कभी शायद आये सामने भी,
तूने जो लिखे थे खत पढ़ना चाहते है,
यादो के हुजूमो में खो जाएंगे हम,
तेरे ही तसव्वुर में रहना चाहते है,
प्यासा रख दिया है हम आदी है उसीके,
समंदर को तिश्ना में अब रखना चाहते है,
कोई इक सबा तो हो जो चाहे हमें भी,
तेरी ही बहारो में खिलना चाहते है !!
नीशीत जोशी 22.09.15
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