શુક્રવાર, 2 ઑક્ટોબર, 2015

कहने को बहुत है मगर

big_thumb_35e3e1aceaf5f83c12f1a9a6ab8b19e2 कहने को बहुत है मगर कुछ कह नहीं सकते, सहने को सह लिए बहुत अब सह नहीं सकते, मिल जाओ तुम अब सुनी वो सड़क पे कहीं, हम तेरे इन्तजार में अब रह नहीं सकते, रोया क्यों करें रात भर हम याद में तेरी, हम आँखों के सैलाब में अब बह नहीं सकते, जलने दो बस्तियां, धुंआ उठने कि देर है, दिल में राख लेकर अभी हम रह नहीं सकते, अपना वो फ़साना हमे भाता नहीं अब तो, दिल का वो तड़पना मगर हम कह नहीं सकते !! नीशीत जोशी 01.10.15

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