पहले शे'र में, पहली लाइन (मिस्रा-ए-ऊला) जाने माने गज़लकार
जनाब बशर नवाज़ जी की कही हुई है !
करोगे याद तो हर बात याद आएगी,
हमारे साथ की हर रात याद आएगी,
गुजारे वक्त का कोई हिसाब तो होगा,
मिठे लम्हों की सौगात याद आएगी,
खिलाडी हो बखूबी खेल का मज़ा लेना,
पुराने खेल की हर मात याद आएगी,
सफर जो भी रहा मुश्किल करे भी क्या?
पडी जो वक्त में वो हर घात याद आएगी,
बहारें लौट आने का सबब करे कोई,
तभी पतझड़ को भी औकात याद आएगी !!
नीशीत जोशी 25.09.15
શુક્રવાર, 2 ઑક્ટોબર, 2015
याद आएगी
पहले शे'र में, पहली लाइन (मिस्रा-ए-ऊला) जाने माने गज़लकार
जनाब बशर नवाज़ जी की कही हुई है !
करोगे याद तो हर बात याद आएगी,
हमारे साथ की हर रात याद आएगी,
गुजारे वक्त का कोई हिसाब तो होगा,
मिठे लम्हों की सौगात याद आएगी,
खिलाडी हो बखूबी खेल का मज़ा लेना,
पुराने खेल की हर मात याद आएगी,
सफर जो भी रहा मुश्किल करे भी क्या?
पडी जो वक्त में वो हर घात याद आएगी,
बहारें लौट आने का सबब करे कोई,
तभी पतझड़ को भी औकात याद आएगी !!
नीशीत जोशी 25.09.15
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