બુધવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2015
नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को
जहां से क्यों रखे हो, दूर मुझ को,
नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को,
बयाँ कैसे करें, तेरा फ़साना,
जबाँ होती लगे, रंजूर मुझ को,
दिखाई दे गर तूफां, सामने भी,
खुदा पे है भरोषा, भरपूर मुझ को,
बचाले या मुझे मारे, खुदा जाने,
तिरा हर फैसला, मंजूर मुझ को,
तिरा ममनून हूँ, नेमत तिरा है,
न करना तू कभी मगरूर मुझ को !!
नीशीत जोशी
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો