બુધવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2015

दर्द को लिखते लिखते

sad दर्द को लिखते लिखते उंगलीयां जल गयी, रश्मो की रवायत में चिठ्ठीयां जल गयी, गर्मी में पसीने बहे, बारिश ने भिगो डाला, शर्द हवाओं के मौसम में शर्दीयां जल गयी, बंध कमरे में बैठ के, खयालो में खोते रहे, अकेली रात देख कर, तन्हाईयां जल गयी, उज़डे दिलों का हाल, हो गया बेहाल ऐैसा, देख के लपटें आग की, बस्तीयां जल गयी, उठा था लावा अंदर, बाहर था तूफान बहुत, उन बादलों के हालात से, बिजलीयां जल गयी ! नीशीत जोशी 08.10.15

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