બુધવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2015

क्यों दिल से लगा रक्खा है

1173_c839dbc2700bfc40c910a223ec4bacc6 रात की बात को क्यों दिल से लगा रक्खा है, सो गया है चाँद मगर दिया जला रक्खा है, जो करो आज हि कर के उसे पुरा करना, आज की बात को क्यों कल पे उठा रक्खा है, हाथ उठेगा दुआ के लिए असर हो जाएगा, बूतखाना न जाने क्यों फिजूल बना रक्खा है, आ सकते नही यह मजबूरी ही तो है शायद, सामने खुद के क्यों मेरा अक्स सजा रक्खा है, खोखली है मुहब्बत खोखला प्यार जताना, खाँमखा मेरे दिल को तूने ग़म पिला रक्खा है !! नीशीत जोशी 11.10.15

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