રવિવાર, 29 નવેમ્બર, 2015

आयी जो उनकी याद तो

12003864_888883201180903_4983905897525270827_n आयी जो उनकी याद तो आती चली गई, जज्बात मेरे दिल को जताती चली गई, गाऐ थे उनके नाम के नग्मे कई दफा, सोयी वो महफिल को जगाती चली गई, अश्कों के बहने का न पूछो सबब मुझे, आँखें वो दरिया को बहाती चली गई, आने की हमने आश जो बांधी हुई थी, वो रातें भी इंतजार कराती चली गई, गर्दीश में था चाँद और सितारें छुपे हुए, आके वो मुझको दीया दिखाती चली गई ! नीशीत जोशी

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