
उम्रभर सतानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
कब्र में सुलानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
कत्ल करके इल्जाम किसी और पे लगाया,
कातिल को बचानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
तंज़ कसते थे साथ छूटने पे मेरे मुहिब्ब से,
उसे दुल्हन सज़ानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
साद की आश में दिल नासाद रहा मेरा हरदम,
बोझ उसका बढानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
फुर्सत न थी जिसे वो बैठे है पास मेरे जनाजे के,
दिखाके अश्क बहानेवाले भी सभी मेरे अपने थे !
नीशीत जोशी 31.10.15
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