
कभी हमें अपना बना लिया करो,
कभी सुनो कभी सुना दिया करो,
न हो कभी सिकवा न गीला कभी,
गुरूर को दिलमें दफन किया करो,
करें तिरी नम आँख दर्द कभी बयाँ,
जुबाँ रखो खामोश,जहर पिया करो,
खुदा मिले मुहिब्ब बनके तुझे कभी,
अता करो सजदा,यक़ीं किया करो,
न जिगर हो,अरमान से तन्हा कभी,
फटे हुए जज्बात को सी लिया करो !
नीशीत जोशी 26.11.15
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