રવિવાર, 29 નવેમ્બર, 2015

वो समझे हम दिवाने है

12112039_883747135027843_3606279958668148648_n कर ली हमने जो हँस के बात, वो समझे हम दिवाने है, कर ली हमने जो मुलाकात ,वो समझे हम दिवाने है, दे दी हमने थोडी ज्यादा तव्वज़ो,यही गलती थी शायद, भूलायी जो अपनी औकात, वो समझे हम दिवाने है, सुना है दोस्त के दोस्त, अपने भी दोस्त होते है, उन्ही से जित के खायी मात, वो समझे हम दिवाने है, रह न पाये खामोश, जब बैठे थे मुहिब्ब साथ में, काटी जो गुफ्तगू में रात, वो समझे हम दिवाने है, सुनते रहे वह और हम सुनाते रहे, दिल की दास्ताँ, उठे जाने कितने सवालात, वो समझे हम दिवाने है ! नीशीत जोशी 06.11.15

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