બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015
इश्क की किताब दे
तू आब-ए-दीदा दे, या वैसी कोई शराब दे,
देना ही है मोहसिन मुझे, तो कोई अज़ाब दे,
बैठा देते हो महफ़िल में, खामखाँ अक्सर,
टूटे आईने को सवार ने, अब कोई शबाब दे,
आकर चार्रागार कोई, इलाज़ करे ज़ख्मो का,
नासूर, नाइलाज़ का, फैसला-ए-खिताब दे,
हालात है नाज़ुक, मेरे सवालात भी बहुत है,
जान-ए-जानम बने कोई, और मुझे जवाब दे,
बाकी है बहुत सीखना, मुहब्बत के आलम में,
ले जाके किसी मक्तबा में, इश्क की किताब दे !!
नीशीत जोशी
(आब-ए-दीदा=tears,अज़ाब=punishment,
मक्तबा=library)28.10.15
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