બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015

हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा

12065569_882534091815814_2523912884738241020_n लिखा था जो खत तुम्हे, वो तुने पढा होगा, खुन था स्याही के बदले,वो तुझे पता होगा, नहीं हो हमारी किस्मत में तू, ये कहें कैसे, जरूर किसी ज्योतिषी ने, ऐसा कहा होगा, अंधेरो के नसीब भी होती है, जुगनू की रोशनी, मेरे भी नसीब में, खुदा ने कुछ तो लिखा होगा, हर कासीद को अब मालूम है, मेरा ठिकाना, खत के जवाब का इंतजार, सबको रहा होगा, मजबूरी का नाम देकर, तुमने रुखसत ली थी, हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा ! नीशीत जोशी 03.11.15

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