होते अगर तुम यार तो,
होता मुझे फिर प्यार तो !
मरते जमाले हुश्न पर,
करते नजर से वार तो !
शरमा भी जाए चाँद फिर,
हो गर तेरा दीदार तो !
मीठी रहे जूबाँ भी फिर,
होता न दिल यूँ खार तो !
कुछ कर तलातुम का हिसाब,
कर फिर सफ़ीना पार तो !
नीशीत जोशी 'नीर'
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