
1212-1122-1212-22
वो बेवफा हैै,रवायत तो कुछ निभायेगी,
लगा के दिल वो मेरा प्यार तो बढायेगी!
कहाँ कहाँ मैं तो भटका उन्हे ही पाने को,
किसे कहूँ कि वो हर राह में सतायेगी!
दिवानगी कि भी हद पार करके देखा जब,
पता न था कि मुहब्बत मुझे रुलायेगी!
न कोई प्यार करेगा उसे मेरे जैसे,
उसे भी वस्ल कि बातें तो याद आयेगी!
कभी उसे भी सजा प्यार में मिलेगी यूँ,
कि फिर उसे भी वो हर शब सदा जगायेेगी!
रही न कोई चरागों कि रोशनी वो जब,
वो महफिलों में पढी फिर भी नज़्म जायेगी!
अभी तो घाव नया फिर दिया गया दिल को,
ये दिल के दर्द से अब 'नीर' को जलायेगी !
नीशीत जोशी 'नीर'
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