શુક્રવાર, 5 ફેબ્રુઆરી, 2010

हम न होगें


फासले दरमिया हमारे कम न होगें
महोब्बतमे मरनेवाले कम न होगें
करेंगे रोशन चिराग तेरी महेफिलमे
मगर उस महेफिलमे हम न होगें
रहेंगे चांद सीतारे इस चमनमे
पर उसे बतानेवाले हम न होगें
होगी बहारे उस बागोमे लेकीन
तेरे बाग को सजाने हम न होगें
नम जो होगी आंसुओसे तेरी आंखे
तसल्ली दे मनाने हम न होगें
याद कर आवज दे देना कभी भी
इर्द-गीर्द ही रहेगे चाहे हम न होगें

नीशीत जोशी

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