શુક્રવાર, 12 માર્ચ, 2010

रास न आयी हो गर


रास न आयी हो गर दोस्ती हमारी
ना करना किसीसे फरियाद हमारी
बुरा भी जो लगा हो तुजे गर
ना कहेना किसीसे दास्तां हमारी
लुटा बैठे हे सब कुछ यहा
ना कहेना किसीसे दिल्लगी हमारी
अकेले आये अकेले ही जाना
सब के जैसी तो हे कहानी हमारी

नीशीत जोशी

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