बडो को प्रणाम...
हमऊम्र को प्यार...
छोटो को दुलार...
बधाइ दी सबने, शुक्रिया, आप सब का,
इस नाचिजको दिलमे जगह देने का,
हम तो पडे थे राहमे ठोकरो के लिये,
पर मुजे, दे इतना प्यार, अपना बनाने का,
अल्फाज नही मिलते मुजे, आज शायद,
मिले मुजे, आप जैसे दोस्त, और गर्व है, दोस्ती का,
शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया, आप सब दोस्तो का,
दोस्ती निभायेंगे, यह वादा है, नाचिज 'नीशीत'का |
नीशीत जोशी
રવિવાર, 21 માર્ચ, 2010
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