રવિવાર, 20 જાન્યુઆરી, 2013
કોને સમજાવવું
કોને સમજાવવું કે કોને લખતા આવડતું નથી,
કોઈ કોઈને અહીં ખરે હૃદયે સીખવાડતું નથી,
વિચારો તો આવે છે ઘણા અંદરો અંદર હૃદયે,
અફસોસ,કોઈ કોઈને સ્વ-હૃદય બતાવતું નથી,
ચાર રસ્તા વચ્ચે ઉભા રહીને પણ જોયું'તું અમે,
સાચો કયો છે માર્ગ એ પણ કોઈ સુજાડતું નથી,
કરવત લઈને ઝાડ કાપવાને તૈયાર થયા ઘણા,
આજે એક છાયાદાર વૃક્ષ ગામમાં ઉગાડતું નથી,
બીજાને વહાલા થવું સૌને ગમે એ સારું કહેવાય,
પોતાને દર્પણમાં જોઇને કોઈ ડરી ભગાડતું નથી.
નીશીત જોશી 19.01.13
हाल-ए-दिल किस किस को सुनाये
सजा हमें ये कैसी मिली दिल लगाने की,
रो रहे है मगर तमन्ना थी मुश्कुराने की,
रुसवा खुद हुए, तोहमत लगा दी हम पर,
बात तय हुयी थी एकदूजे को मनाने की,
आये महफ़िलमें चराग जला के छोड़ गए,
परवाह न की उसने जलते हुए परवाने की,
मझधार ले जा कर नातर्स ने छोड़ दिया,
तकल्लुफ न की साहिल तक पहोचाने की,
अपना हाल-ए-दिल किस किस को सुनाये,
हबीब भी जिक्र करते है खुद के फ़साने की !
नीशीत जोशी 17.01.13
यूँ तो हमें अपनी ही गिरफ्त में जाना था
यूँ तो हमें अपनी ही गिरफ्त में जाना था,
परिंदे को जैसे क़फ़स ही में उलजाना था,
नुक्तादां थे वोह,प्यार से हमें अपना बनाया,
हमने इतबार करके उसे अपना माना था,
वफ़ा का नाम ले कर सितम करते रहे वोह,
नादाँ थे हम,उनका वही फरेबी फ़साना था,
जुस्तजू रखी हमने उनसे मिलने की हरदम,
पर उनके पास न मिलने का नया बहाना था,
हर ख्वाइश को ठुकराया मजबूरी के नाम से,
हमसे गुफ्तगू करना उसने वबाल माना था,
सिख न पाए खेल उनके साथ खेल कर भी,
हमें कहाँ किसीसे ऐसा पुरदर्द आजमाना था !!!!
नीशीत जोशी 12.01.13
બદલાતી હોય છે
કોઈ ગઝલ પણ કાફિયા વગર બદલાતી હોય છે,
મહેફિલ માં પણ લોકોની નજર બદલાતી હોય છે,
નિહાળી કોઈ નવા આગંતુક ને આગલી હરોળ માં,
સભાઓ ની પણ તરકીબી અસર બદલાતી હોય છે,
અજાણ્યો રસ્તો ચાલતા એક'દી જાણીતો થઇ જાય,
પણ હર ચૌરાહે મુસાફિરની સફર બદલાતી હોય છે,
જુની વાતમાં નવું શોધવાને જવું નથી પડતું ક્યાય,
છાપાનાં હર એક પાને પણ ખબર બદલાતી હોય છે,
ફક્ત નસીબના ભરોશે બેસી રહી કેટલા 'દી નીકળશે,
મહેનતુ માણસની તકદીર જબ્બર બદલાતી હોય છે,
નીશીત જોશી 11.01.13
मिले हुए चार दिन जी लेते शान से
तुझे मेरे प्यार का थोडा इमा होता,hint , intention
तडपती रूह के वास्ते मुझदा होता, good news
कफन को छू के गर चूम लेते तुम,
जन्नत में भी जश्न का समा होता,
डोलीमें सजके रूखसत हो गए तुम,
साथ चलने को कभी तो कहा होता,
वफ़ा तुम करते, किसी उम्मीद बिना,
किस्सा प्यार का जहाँ में बयां होता,
मिले हुए चार दिन जी लेते शान से,
कब्रमें सो कर भी अश्क ना बहा होता |
नीशीत जोशी 10.01.13
आज के बाद
अब तुझसे न होगी मुलाक़ात,आज के बाद,
कासिद न देगा इत्तिला तेरी, सवाल के बाद,
हर लम्हा, तेरी याद में गुजरेगा अब तो यहाँ,
दिल को महसूस होगी कमी, हर शाम के बाद,
वो चराग भी तन्हाई में बुझे रहेंगे, महफ़िलमें,
सवेरा भी होने से घबरायेगा, अब रात के बाद,
खामोश है लब्ज, कहीं बदनाम न हो जाओ,
साँसे भी थम सी जाती है, तेरे नाम के बाद,
नफ़स भी अदावत करने लगी है, तेरे बगैर,
तेरी हलावात दे रही है खूनाब, याद के बाद |
नीशीत जोशी
(नफ़स=ज़िन्दगी की साँसें,अदावत=दुश्मनी, हलावात=मधुरता,खूनाब=खून के आंसू) 08.01.13
રવિવાર, 6 જાન્યુઆરી, 2013
મુશ્કિલ
પ્રેમ નાં પંથે નીકળી પડ્યા છો,
આ પથે આવવું
નથી મુશ્કિલ,
પણ
નીકળવું છે બહુ મુશ્કિલ,
એક વાર નીકળ્યા,
કદમ ચાલ્યા જો સાથ,
વળવું પાછું,
છે મુશ્કિલ,
પાછા વળી પણ ગયા,
સહી બધી મુશ્કિલો,
જીવન જીવવું
બની જશે મુશ્કિલ .
નીશીત જોશી 06.01.13
दिल को दिल से ना लगाया होता
दिल को दिल से ना लगाया होता,
बेवफाई का एहसास ना पाया होता,
भरम में ही रह जाते उम्र भर शायद,
सितमगर ने अगर ना सताया होता,
आँखे भी महफूज़ रहती रोये बगैर,
अश्को का समंदर ना बहाया होता,
नक्श-ऐ-पा न होते लाल रंग से भरे,
कांटो की राह पे कदम ना बढ़ाया होता,
वादियों की रूमानी रहती बरकरार,
हसते हुए महबूब को ना रुलाया होता |
नीशीत जोशी 05.01.13
इश्क के आरूज़
इश्क के आरूज़, किसीने हमें कभी सिखाया नहीं,
दफ़न कर दिए जज्बात, हमने कभी जताया नहीं,
भर के रखा है आँखों में अश्क का तूफानी समंदर,
दिल में बसा ज़लज़ला किसीको कभी दिखाया नहीं,
उतर आते है ख्वाब रातो को कोई फ़रीज़ा* हो जैसे,duty
नींद के आगे मैंने कोई चौकीदार कभी बैठाया नहीं,
जसारत* दिखा कर जश्न मनाते रहते है लोग यहाँ,daring
परवाना जले नहीं इसीलिए चराग कभी जलाया नहीं,
रोज़ वोह आ ही जाता है दर-ए-दिल पे दस्तक देने,
है वोह एक शख्स जिस को मैंने कभी भुलाया नहीं |
नीशीत जोशी 04.01.13
इसका गिला नहीं
इसका गिला नहीं के बहोत गम उठाये है,
बरबादिया नसीब मे लिखवा के आये है,
अब कोई पूछता नहीं हाल-ऐ-दिल हमारा,
वोह रकीब को भी हमने दिल से हँसाये है,
उल्फत का नाम दे कर प्यार भुला दिया,
रवायत समज के आँखों ने अस्क बहाये है,
दिल को संदूक की तरहा इस्तमाल किया,
कुचे कुचे में सिर्फ वोह बेवफा के साये है,
बेचैन हो उठा है अब खुदा भी जन्नत में,
आते हुए ख्वाब भी हमने उन्ही पे लुटाये है |
नीशीत जोशी 02.01.13
મંગળવાર, 1 જાન્યુઆરી, 2013
नयी सुबह हुई
नयी सुबह हुई, ये भी शाम ढले चली जायेगी,
मुहोब्बत है, सितमगर राते भी सही जायेगी,
गर छुपा के रखी हो दास्ताँ खुद के ख्वाब की,
ग़ज़ल बन,महेफिल में सरेआम कही जायेगी,
बुत बनके,करते रहोगे इन्तजार उनकी राह पे,
आँखों को अश्क की बारीस तौफे में दी जायेगी,
नजरे फेर लेने से, ऐसे तो नहीं बदलते है रिश्ते,
रूमानी तभी आएगी जब बातो से गर्मी जायेगी,
शाख से गिरे पत्तो पर ओस की बूंद गिरने पर,
बदलते उन मौसम की राह भी बदली जायेगी |
नीशीत जोशी 01.01.13
अब तो जाग जाओ, देश के नेता
अब तो जाग जाओ, देश के नेता,
जरासा तो शरमाओ, देश के नेता,
आपकी भी तो होगी, माँ बेटिया,
उन पे तो तरस खाओ,देश के नेता,
हैवानो ने हैवानियत की हद कर दी,
उनको सबक सिखाओ,देश के नेता,
आँखे मुंध कर कब तक बैठे रहोगे,
आवाम को न आजमाओ,देश के नेता,
चुटे हुए नुमाइन्दे हो आप आवाम के,
धरम तो अपना निभाओ,देश के नेता,
ना कर सके कोई फिर ऐसा दुष्कर्म,
क़ानून ऐसा कुछ बनाओ,देश के नेता !!!!!!
नीशीत जोशी 23.12.12
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