શનિવાર, 10 ઑગસ્ટ, 2013
इन फिज़ा में पीने का मजा कुछ और है
इन फिज़ा में पीने का मजा कुछ और है,
याद में रात जगने का मजा कुछ और है,
मैयकशी का माहोल अब बनने दो दोस्तों,
आँखों के जाम पीने का मजा कुछ और है,
साकी ने कहा महेफिल में जी भरके पीयो,
उस इल्तजा पे डूबने का मजा कुछ और है,
तवाझो देखकर खोल न पाये दिल का राज,
दिल ही दिल में मरने का मजा कुछ और है,
घर से निकले थे मंदिर की तरफ, साकीया,
तेरे मयखाने में आने का मजा कुछ और है,
मैय हे लाल और याद रहा चहेरा भी लाल,
लाल से बेहाल होने का मजा कुछ और है ....
नीशीत जोशी 01.08.13
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