શનિવાર, 17 ઑગસ્ટ, 2013
क्या हो जाता अगर वह मेरा हो जाता
मेरी अनकही कहानी भी पढ़ वो जाता !
मेरे खयालो में ही शायद वह खो जाता !!
सपने देखने की ख्वाइश बढ़ती, उसकी !
खुली रख कर आँखे रात वह सो जाता !!
याद कर के साथ लम्हे, भूलता उल्फ़ते !
तस्सवूर में मेरी एकबार डूबने तो जाता !!
समंदर अपना उफान भी कम कर लेता !
मुहब्बत कर मझधार भी गर जो जाता !!
रकीब की बाहें क्यों रास आने लगी उसे !
क्या हो जाता अगर वह मेरा हो जाता !!
नीशीत जोशी 13.08.13
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો