શનિવાર, 17 ઑગસ્ટ, 2013
गर चाँद नहीं आसमाँ में तो फलक नहीं
न मानने की तेरे पास कोई वजह नहीं,
गर चाँद नहीं आसमाँ में तो फलक नहीं,
आयना को तोड़ पाश पाश कर लिया तूने,
अब खड़े हो सामने कहके की जलक नहीं,
तन्हाई ने ऐसा घेरा हे तेरे दिल को,मानो,
विरान हुआ जँगल जैसे कोई सजर नहीं,
उल्फत से बचाने की कोशिश करता हूँ मैं,
प्यार का नाम सुनकर अब तू भड़क नहीं,
मन्जूर हो तो रह लो मेरे पागल दिल में,
इस से बेहतर मेरे पास कोई जगह नहीं !
नीशीत जोशी 14.08.13
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો