શનિવાર, 17 ઑગસ્ટ, 2013

दीदार के बाद अकेली तू कैसे जी पायेगी??

catid_271L दीदार की ख्वाइश पूरी अगर हो जायेगी, बार बार तू दीदार की इजाझत चाहेगी, यकीन है मुझे, वो पर्दा रूख से हटते ही, मेरी नयन कटार से खुद बच ना पायेगी, नयन से जो नयन टकरा जायेगे एकबार, उस पल से तेरी रूह को मेरी रूह भायेगी, मैं तो हूँ भवरा, प्रेम वस फ़ौरन हो जाऊं, तू मेरी चाहत में खुद-ब-खुद फस जायेगी, परदा है परदे मे ही रहेने देना मुजे, राधे, दीदार के बाद अकेली तू कैसे जी पायेगी???? नीशीत जोशी 11.08.13

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