શનિવાર, 17 ઑગસ્ટ, 2013
दीदार के बाद अकेली तू कैसे जी पायेगी??
दीदार की ख्वाइश पूरी अगर हो जायेगी,
बार बार तू दीदार की इजाझत चाहेगी,
यकीन है मुझे, वो पर्दा रूख से हटते ही,
मेरी नयन कटार से खुद बच ना पायेगी,
नयन से जो नयन टकरा जायेगे एकबार,
उस पल से तेरी रूह को मेरी रूह भायेगी,
मैं तो हूँ भवरा, प्रेम वस फ़ौरन हो जाऊं,
तू मेरी चाहत में खुद-ब-खुद फस जायेगी,
परदा है परदे मे ही रहेने देना मुजे, राधे,
दीदार के बाद अकेली तू कैसे जी पायेगी????
नीशीत जोशी 11.08.13
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