
तुम सभी के आँख के तारे हो,
तुम सभी के बहोत ही प्यारे हो,
दुलार उमट पड़ता है अपने आप,
तुम इस जहाँ में सब से न्यारे हो,
महफूज रखती है तुझे दामन में ,
तुम अपनी माँ के बहोत दुलारे हो,
आसमाँ छूने की तम्मना है शायद,
तुम माँ की उम्मीद के सहारे हो,
खुदा आकर खुद नेमत बक्सेगा,
तुम रब की अझान से भी प्यारे हो !
नीशीत जोशी 18.08.13
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો