
चलो उस रक़ीब को दोस्त बनाया जाय,
जहर को भी आज अमृत पिलाया जाय,
खुरचे थे जो ज़ख्म बन गये अब नासूर,
चलो प्यार से उसे मलहम लगाया जाय,
हमारे लिखे ख़त को तो मुद्दत हो चुकी,
जवाब पाने क़ासिद को घर बुलाया जाय,
खदान में रहके दिल पत्थर बना लिया,
चलो संगदिल को प्यार सिखाया जाय,
अदावत का मुदावा सिर्फ मुहब्बत ही है,
जो हो गये नाशाद उसे शाद बनाया जाय !!!!
नीशीत जोशी 16.01.14
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