શનિવાર, 18 જાન્યુઆરી, 2014
जख्म को खुरच कर उसे ताज़ा रखते है
जख्म को खुरच कर उसे ताज़ा रखते है,
हम अपनी मुहब्बत में कुछ खासा रखते है !!
डरते नहीं रक़ीब के नए जख्म से अब तो,
हम अपनी मुहब्बत का ही इफ़ाक़ा रखते है !!
क़त्ल करो खंजर से या अपनी नजरो से,
हम अपने जज्बे को ही कातिलाना रखते है !!
हटा दो चाँद या बुझा दो यहाँ की रोशनी,
हम अपने घर में जुगनुओ से उजाला रखते है !!
समज गए है अब मुहब्बत की बारीकियाँ,
हम दिल टूट जाये तो उसका चारा रखते है !!
नीशीत जोशी
(खासा= specialty,इफ़ाक़ा= relief, healing process ,चारा= remedy) 11.01.14
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