રવિવાર, 12 જુલાઈ, 2015

वोह जब से मेरी जाँ हो गयी

ho gayi वोह जब से मेरी जाँ हो गयी, कामिल हर इम्तिहाँ हो गयी, फूल बागों में मुश्कुराने लगे, फूलो से मेरी पहेचाँ हो गयी, रकीब बन गए दोस्त अब तो, दुनिया मुझ पे मेहरबाँ हो गयी, अशआर लिखे कुछ वरक पे, ग़ज़ल दिल की जूबाँ हो गयी, तू नज़र आये हर जगह मुझे, हर हरकत मेरी नादाँ हो गयी ! नीशीत जोशी (कामिल=complete) 10.07.15

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