મંગળવાર, 7 જુલાઈ, 2015

वह मेरा बेसब्र चश्मबरा होगा

419681_337865599580594_771971226_n समंदर पे भी कभी किसीका पहरा होगा, इसलिये आँखों में ही आंसू ठहरा होगा, काहे बात पुछता है वह मेरे उल्फत की, मेरा दावा है वह भी उससे गुजरा होगा, दिखती है ख्वाबो में भी तस्वीर धुंधली, लगता है उनके नजदीक ही सहरा होगा, हो गया हो उनका दिल बेचैन मेरे लिए, इसीलिए वह मेरा बेसब्र चश्मबरा होगा, घेरा हो सकता है हिज्र के ग़म ने उसे, इसीलिए वह यहाँ हुआ ग़ज़लसरा होगा !! नीशीत जोशी (सहरा=desert, चश्मबरा= waiting to welcome, ग़ज़लसरा = one who sings ghazals) 25.06.15

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો