મંગળવાર, 7 જુલાઈ, 2015
वह मेरा बेसब्र चश्मबरा होगा
समंदर पे भी कभी किसीका पहरा होगा,
इसलिये आँखों में ही आंसू ठहरा होगा,
काहे बात पुछता है वह मेरे उल्फत की,
मेरा दावा है वह भी उससे गुजरा होगा,
दिखती है ख्वाबो में भी तस्वीर धुंधली,
लगता है उनके नजदीक ही सहरा होगा,
हो गया हो उनका दिल बेचैन मेरे लिए,
इसीलिए वह मेरा बेसब्र चश्मबरा होगा,
घेरा हो सकता है हिज्र के ग़म ने उसे,
इसीलिए वह यहाँ हुआ ग़ज़लसरा होगा !!
नीशीत जोशी
(सहरा=desert, चश्मबरा= waiting to welcome, ग़ज़लसरा = one who sings ghazals) 25.06.15
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